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रीट(REET) परीक्षा संबंधित प्रश्न 2022

2 years ago 3.6K Views

निदा की ऐसी ही महिमा है। दो-चार निंदको को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए,

दो चार ईश्वर भक्तों से जो रामधुन गा रहे हैं। निंदको की-सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में

दुरलभ है। इसलिए संतों ने निंदको को आंगन कुटी छवाय पास रखने की सलाह दी है कुछ 'मिशनरी' निंदक मैने

देखे हैं। उनका किसी से बैर नहीं,हीं धूप नहीं।हीं वे किसी का बुरा नहीं सोचते पर चीबीस पंटे वे निंदा-कर्म में वात

पवित्र भाव से लगे रहते हैं कि ये प्रसंग आने पर अपने बाप की पगड़ी भी उसी आनंद से उछालते हैं, जिस आनंद

से अन्य लोग दुश्मन की। निंदा इनके लिए टॉनिक होती है। इयां-ट्वेष से प्रेरित निंदा भी होती है। वह ईया-वेष से

चौबीसों घंटे जलता है और निदा का जल छिड़ककर कुछ शांति अनुभव करता है। ऐसा निदक बड़ा दयनीय

होता है। अपनी अक्षमता से पीड़ित वह बेचारा दूसरे की सक्षमता के चाँद को देखकर सारी रात श्वान जैसा

भौकता है। ईष्य्या-दूवेष से प्रेरित निंदा करने वाले को कोई दंड देने की जरूरत नहीं है। वह निंदक बेचारा स्वयं

दंडित होता है। जाप चैन से सोझा और वह जलन के कारण सो नहीं पाता । उसे और क्या दंड चाहिए निरंतर

अच्छे काम करते जाने से उसका दंड भी सख्त होता जाता है; जैसे-एक कवि ने एक अच्छी कविता लिखी,

ईष्यंग्रस्त निदक की कष्ट होगा अब अगर एक और अच्छी कविता लिख दी, तो उसका कष्ट दुगुना हो जाएगा।

Q :  

निंदको की सी एकाग्रता, आत्मीयता व निमग्नता किसमें दुर्लभ है?

(A) साधारण लोगों में

(B) ईश्वर भक्तों में

(C) शिक्षितों में

(D) नास्तिकों में

Correct Answer : C

"साहित्य का आधार जीवन है। इसी आधार पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियां, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दवी पड़़ी है। जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है । जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं,हीं लेकिन साहित्य मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए कानून है जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवनपर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को यह रत्न, द्रव्य में मिलता है, किसी को भरे-पूरे परिवार में, किसी को लंबे-चीड़े भवन में, किसी को ऐश्वर्य में । लेकिन साहित्य का आनंद इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य हे। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना वही आनंद उत्पन्न करना साहित्य का उद्देश्य है।" 

Q :  

'लंबे चौड़े भवन में' वाक्य में लंबे चौड़े व्याकरण की दृष्टि से क्या है

(A) क्रियाविशेषण है

(B) संज्ञा है

(C) क्रिया है

(D) विशेषण है

Correct Answer : D

"साहित्य का आधार जीवन है। इसी आधार पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियां, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दवी पड़़ी है। जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है । जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं,हीं लेकिन साहित्य मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए कानून है जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवनपर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को यह रत्न, द्रव्य में मिलता है, किसी को भरे-पूरे परिवार में, किसी को लंबे-चीड़े भवन में, किसी को ऐश्वर्य में । लेकिन साहित्य का आनंद इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य हे। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना वही आनंद उत्पन्न करना साहित्य का उद्देश्य है।" 

Q :  

साहित्य के आनंद का आधार है

(A) सुंदर और सत्य को पाना

(B) जीवन

(C) रत्न और ऐश्वर्य पाना

(D) परमात्मा

Correct Answer : A

निदा की ऐसी ही महिमा है। दो-चार निंदको को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए,

दो चार ईश्वर भक्तों से जो रामधुन गा रहे हैं। निंदको की-सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में

दुरलभ है। इसलिए संतों ने निंदको को आंगन कुटी छवाय पास रखने की सलाह दी है कुछ 'मिशनरी' निंदक मैने

देखे हैं। उनका किसी से बैर नहीं,हीं धूप नहीं।हीं वे किसी का बुरा नहीं सोचते पर चीबीस पंटे वे निंदा-कर्म में वात

पवित्र भाव से लगे रहते हैं कि ये प्रसंग आने पर अपने बाप की पगड़ी भी उसी आनंद से उछालते हैं, जिस आनंद

से अन्य लोग दुश्मन की। निंदा इनके लिए टॉनिक होती है। इयां-ट्वेष से प्रेरित निंदा भी होती है। वह ईया-वेष से

चौबीसों घंटे जलता है और निदा का जल छिड़ककर कुछ शांति अनुभव करता है। ऐसा निदक बड़ा दयनीय

होता है। अपनी अक्षमता से पीड़ित वह बेचारा दूसरे की सक्षमता के चाँद को देखकर सारी रात श्वान जैसा

भौकता है। ईष्य्या-दूवेष से प्रेरित निंदा करने वाले को कोई दंड देने की जरूरत नहीं है। वह निंदक बेचारा स्वयं

दंडित होता है। जाप चैन से सोझा और वह जलन के कारण सो नहीं पाता । उसे और क्या दंड चाहिए निरंतर

अच्छे काम करते जाने से उसका दंड भी सख्त होता जाता है; जैसे-एक कवि ने एक अच्छी कविता लिखी,

ईष्यंग्रस्त निदक की कष्ट होगा अब अगर एक और अच्छी कविता लिख दी, तो उसका कष्ट दुगुना हो जाएगा।

Q :  

कवि की अच्छी कविता पर ईर्ष्याग्रस्त निंदक कैसा अनुभव करता है

(A) कष्ट का

(B) सुख का

(C) खुशी का

(D) प्रसन्नता का

Correct Answer : C

निदा की ऐसी ही महिमा है। दो-चार निंदको को एक जगह बैठकर निंदा में निमग्न देखिए और तुलना कीजिए,

दो चार ईश्वर भक्तों से जो रामधुन गा रहे हैं। निंदको की-सी एकाग्रता, परस्पर आत्मीयता, निमग्नता भक्तों में

दुरलभ है। इसलिए संतों ने निंदको को आंगन कुटी छवाय पास रखने की सलाह दी है कुछ 'मिशनरी' निंदक मैने

देखे हैं। उनका किसी से बैर नहीं,हीं धूप नहीं।हीं वे किसी का बुरा नहीं सोचते पर चीबीस पंटे वे निंदा-कर्म में वात

पवित्र भाव से लगे रहते हैं कि ये प्रसंग आने पर अपने बाप की पगड़ी भी उसी आनंद से उछालते हैं, जिस आनंद

से अन्य लोग दुश्मन की। निंदा इनके लिए टॉनिक होती है। इयां-ट्वेष से प्रेरित निंदा भी होती है। वह ईया-वेष से

चौबीसों घंटे जलता है और निदा का जल छिड़ककर कुछ शांति अनुभव करता है। ऐसा निदक बड़ा दयनीय

होता है। अपनी अक्षमता से पीड़ित वह बेचारा दूसरे की सक्षमता के चाँद को देखकर सारी रात श्वान जैसा

भौकता है। ईष्य्या-दूवेष से प्रेरित निंदा करने वाले को कोई दंड देने की जरूरत नहीं है। वह निंदक बेचारा स्वयं

दंडित होता है। जाप चैन से सोझा और वह जलन के कारण सो नहीं पाता । उसे और क्या दंड चाहिए निरंतर

अच्छे काम करते जाने से उसका दंड भी सख्त होता जाता है; जैसे-एक कवि ने एक अच्छी कविता लिखी,

ईष्यंग्रस्त निदक की कष्ट होगा अब अगर एक और अच्छी कविता लिख दी, तो उसका कष्ट दुगुना हो जाएगा।

Q :  

निंदा-कर्म से पवित्र भाव से कौन लगा रहता है

(A) निंदक

(B) पड़ोसी

(C) अपने रिश्तेदार

(D) मिशनरी निंदक

Correct Answer : C

Q :  

वह हमेशा नहाया-धोया’ रहता है। रेखांकित पद में ________ समास है?

(A) तत्पुरूष समास

(B) दिगु समास

(C) अव्ययीभाव समास

(D) द्वन्द समास

Correct Answer : D

Q :  

बाज़ार शब्द से की संज्ञा का बोध होता है?

(A) जातिवाचक

(B) भाववाचक

(C) समूहवाचक

(D) व्यक्तिवाचक

Correct Answer : A

Q :  

शब्द में विशेषण’ कौन सा है?

(A) बड़प्पन

(B) सौंदर्य

(C) कृतज्ञ

(D) व्यक्तित्व

Correct Answer : C

Q :  

'सीता गाना गाती है'  में कौन सा वाच्य है?

(A) कृतवाच्य

(B) भाववाच्य

(C) कर्मवाच्य

(D) इनमें से कोई नहीं

Correct Answer : A

"साहित्य का आधार जीवन है। इसी आधार पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियां, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दवी पड़़ी है। जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है । जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं,हीं लेकिन साहित्य मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए कानून है जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवनपर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को यह रत्न, द्रव्य में मिलता है, किसी को भरे-पूरे परिवार में, किसी को लंबे-चीड़े भवन में, किसी को ऐश्वर्य में । लेकिन साहित्य का आनंद इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य हे। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना वही आनंद उत्पन्न करना साहित्य का उद्देश्य है।" 

Q :  
साहित्य और जीवन में गहरा संबंध है क्योंकिक्यों

(A) जीवन का मुख्य आधार साहित्य है

(B) साहित्य जीवन की मजबूत दीवार है

(C) साहित्य का आधार जीवन है

(D) साहित्य का आनंद जीवन से ऊंचा है

Correct Answer : C

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