Rajasthan GK प्रश्न और उत्तर का अभ्यास करें

प्र:

जयपुर का स्थापना वर्ष है-

863 0

  • 1
    1727 ई.
    सही
    गलत
  • 2
    1723 ई.
    सही
    गलत
  • 3
    1702 ई.
    सही
    गलत
  • 4
    1750 ई.
    सही
    गलत
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  • Workspace

उत्तर : 1. "1727 ई."
व्याख्या :

1. जयपुर का स्थापना वर्ष 1727 है। इस शहर की स्थापना महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने की थी। वे कछवाहा वंश के राजा थे। जयपुर को "पिंक सिटी" के नाम से भी जाना जाता है।

2. जयपुर की स्थापना के पीछे कई कारण थे। सबसे महत्वपूर्ण कारण था कि महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय को अपने राज्य की राजधानी को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करना था। जयपुर एक सुरक्षित स्थान पर स्थित था और यह एक समृद्ध व्यापारिक केंद्र भी था।

प्र:

निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही नहीं है?

723 0

  • 1
    डुंगजी - जवाहरजी – सिरोही
    सही
    गलत
  • 2
    महराब खान - कोटा
    सही
    गलत
  • 3
    लाला जयदयाल - कोटा
    सही
    गलत
  • 4
    ठाकुर कुशल सिंह - जोधपुर
    सही
    गलत
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उत्तर : 1. "डुंगजी - जवाहरजी – सिरोही"
व्याख्या :

निम्नलिखित में से सभी युग्म सही है।

(A) डुंगजी - जवाहरजी  – सीकर

(B) महराब खान - कोटा

(C) लाला जयदयाल - कोटा

(D) ठाकुर कुशल सिंह - जोधपुर

प्र:

'रज्जब वाणी' पुस्तक किस पंथ/संप्रदाय से संबंधित है?

980 0

  • 1
    दादू
    सही
    गलत
  • 2
    विश्नोई
    सही
    गलत
  • 3
    रामस्नेही
    सही
    गलत
  • 4
    निम्बार्क
    सही
    गलत
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उत्तर : 1. "दादू"
व्याख्या :

'रज्जब वाणी' पुस्तक दादूपंथ से संबंधित है। दादूपंथ एक हिंदू धर्म की एक भक्ति आंदोलन है, जिसकी स्थापना दादू दयाल ने 15वीं शताब्दी में की थी। दादूपंथ का उद्देश्य सभी धर्मों और जाति के लोगों को एक साथ लाने और प्रेम और शांति का प्रसार करना है।


प्र:

'हाड़ौती सेवा संघ के संस्थापक कौन हैं?

1036 0

  • 1
    पंडित नयनु राम शर्मा
    सही
    गलत
  • 2
    विजय सिंह पथिक
    सही
    गलत
  • 3
    जयनारायण व्यास
    सही
    गलत
  • 4
    अर्जुन लाल सेठी
    सही
    गलत
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  • Workspace

उत्तर : 1. "पंडित नयनु राम शर्मा "
व्याख्या :

1. हाडोती क्षेत्र में जन जागरूकता के लिए पंडित नयनूराम शर्मा की अध्यक्षता में हाडोटी सेवा संघ की स्थापना की गई थी।

2. पंडित नयनूराम शर्मा ने 1934 में हाडौती प्रजामण्डल की स्थापना की लेकिन महाराजा उम्मेद सिंह द्वितीय की रूढ़िवादी नीति के कारण यह संस्था निष्क्रिय हो गई।

3. पं. नयनूराम शर्मा ने अभिनव हरि के साथ मिलकर 1939 में कोटा प्रजामण्डल की स्थापना की, क्योंकि हाड़ोती प्रजा मंडल अयोग्य हो गया।

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उत्तर : 3. "(i)-3, (ii)-4, (iii)-2, (iv)-1"
व्याख्या :

सभी कूटों में सही उत्तर का चयन हैं -

सूची-I                                                             सूची-I

(i) जहर पीर                                               (3) गोगाजी

(ii) शिव का अवतार                                   (4) तेजाजी

(iii) लक्ष्मण का अवतार फड़ चित्रकला में     (2) पाबूजी

(iv) रामसा पीर                                           (1) रामदेवजी

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उत्तर : 2. "(i)-3, (ii)-2, (iii)-1, (iv)-4 "
व्याख्या :

सभी कूटों में सही उत्तर का चयन हैं -

समाचार-पत्र                           प्रकाशन का स्थान

(i) प्रजा सेवक                          (3) जोधपुर

(ii) नवीन राजस्थान                  (2) अजमेर

(iii) लोकवाणी                          (1) जयपुर

(iv) सज्जन कीर्ति सुधाकर        (4) उदयपुर

प्र:

'मुर्कियाँ' पहने जाते हैं-

735 0

  • 1
    गले में
    सही
    गलत
  • 2
    नथुने पर
    सही
    गलत
  • 3
    कानों में
    सही
    गलत
  • 4
    कलाई में
    सही
    गलत
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  • Workspace

उत्तर : 3. "कानों में"
व्याख्या :

मुर्कियाँ कान में पहने जाने वाले आभूषण हैं। ये आमतौर पर सोने या चांदी से बने होते हैं और इनमें कई तरह के डिजाइन होते हैं। मुर्कियाँ राजस्थानी महिलाओं द्वारा पारंपरिक रूप से पहनी जाती हैं। ये आभूषण उनकी सुंदरता और गरिमा को बढ़ाते हैं।


प्र:

लप्पा, लप्पी, किरण और गोखरू क्या हैं?

2440 0

  • 1
    राजस्थानी फिल्म 'सासु माँ में किरदार
    सही
    गलत
  • 2
    गोटा की विभिन्न किस्में
    सही
    गलत
  • 3
    शेरवानी के नाम
    सही
    गलत
  • 4
    अधिक उपज देने वाले कीट (किडनी बीन, फेज़ियोलस एकोनाइट फोलियस) की किस्में
    सही
    गलत
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उत्तर : 2. "गोटा की विभिन्न किस्में"
व्याख्या :

लप्पा, लप्पी, किरण, बांकली, बिजिया, मुकेश और चम्पाकली गोटे के प्रकार हैं। खण्डेला(सीकर) और भिनाय(अजमेर) गोटा निर्माण के प्रमुख केन्द्र हैं। जयपुर में हाथीदांत की कलात्मक चुड़ियां बनाई जाती है। पीतल के बर्तनों की खुदाई करके उस पर कलात्मक नक्काशी का कार्य मुरादाबादी कला कहलाती है।

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