General Hindi Question and Answer प्रश्न और उत्तर का अभ्यास करें
8 प्र: विलोम की दृष्टि से असंगत जोड़े को छाँटिए:
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6241da0157683f2a3ebe6b52- 1लंबा - नाटाfalse
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उत्तर : 3. "अनुरक्ति - विराग "
प्र: 'जमात के करामा ' का अर्थ है-
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6241d9b057683f2a3ebe67af- 1जमात में रहने वाले लोग खुराफात करते हैं।false
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उत्तर : 4. "एकता में शक्ति होती है।"
प्र: ' पाखंडी व्यक्ति' के लिए उपयुक्त मुहावरा है-
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6241d930b229b02fa7a699df- 1बछिया के ताऊfalse
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उत्तर : 2. "बगुला भगत "
प्र: किस विकल्प में 'इल' प्रत्यय का प्रयोग नहीं हुआहै?
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6241d8862300d4328a871b3e- 1उर्मिलfalse
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उत्तर : 2. "मरियल "
प्र: 'आपका जीवन मंगलमय हो।' यह वाक्य किस प्रकार का है?
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6241d80c21c97c201efaedc1- 1इच्छावाचकtrue
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उत्तर : 1. "इच्छावाचक "
प्र: वार्तनिक दृष्टि से अशुद्ध विकल्प चुनिए:
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6241d79d2300d4328a8719e7- 1मृत्योपरान्तtrue
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उत्तर : 1. "मृत्योपरान्त "
प्र:निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए:
हमारे देश में एक ऐसा भी युग था जब नैतिक और आध्यात्मिक विकास ही जीवन का वास्तविक लक्ष्य माना जाता था। अहिंसा की भावना सर्वोपरि थी। आज पूरा जीवन दर्शन ही बदल गया है। सर्वत्र पैसे की हाय हाय तथा धन का उपार्जन ही मुख्य ध्येय हो गया है, भले ही धन - उपार्जन के तरीके गलत ही क्यों न हों। इन सबका असर मनुष्य के प्रतिदिन के जीवन पर पड़ रहा है। समाज का वातावरण दूषित हो गया है। इन सबके कारण मानसिक और शारीरिक तनाव - खिंचाव और व्याधियाँ पैदा हो रही हैं।
आज आदमी धन के पीछे अंधाधुंध दौड़ रहा है। पाँच रुपये मिलने पर दस दस मिलने पर सौ और सौ मिलने पर हजार की लालसा लिए वह इस अंधी दौड़ में शामिल है। इस दौड़ का कोई अंत नहीं । धन की इस दौड़ में सभी पारिवारिक और मानवीय संबंध पीछे छूट गए। व्यक्ति सत्य - असत्य, उचित - अनुचित, न्याय - अन्याय और अपने - पराए के भेद - भाव को भूल गया। उसके पास अपनी पत्नी और संतान के लिए भी समय नहीं धन के लिए पुत्र का पिता के साथ, बेटी का माँ के साथ और पति का पत्नी के साथ झगड़ा हो रहा है। भाई - भाई के खून का प्यासा है। धन की लालसा व्यक्ति को जघन्य से जघन्य कार्य करने के लिए उकसा रही है। इस लालसा का ही परिणाम है कि जगह - जगह हत्या, लूट, अपहरण और चोरी डकैती की घटनाएँ बढ़ रही हैं। इस रोगी मनोवृत्ति को बदलने के लिए हमें हर स्तर पर प्रयत्न करने होंगे।
'शारीरिक' शब्द में प्रत्यय करने पर शब्द बनेगा-
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6241d2b5a5fde25dcf48558fहमारे देश में एक ऐसा भी युग था जब नैतिक और आध्यात्मिक विकास ही जीवन का वास्तविक लक्ष्य माना जाता था। अहिंसा की भावना सर्वोपरि थी। आज पूरा जीवन दर्शन ही बदल गया है। सर्वत्र पैसे की हाय हाय तथा धन का उपार्जन ही मुख्य ध्येय हो गया है, भले ही धन - उपार्जन के तरीके गलत ही क्यों न हों। इन सबका असर मनुष्य के प्रतिदिन के जीवन पर पड़ रहा है। समाज का वातावरण दूषित हो गया है। इन सबके कारण मानसिक और शारीरिक तनाव - खिंचाव और व्याधियाँ पैदा हो रही हैं।
आज आदमी धन के पीछे अंधाधुंध दौड़ रहा है। पाँच रुपये मिलने पर दस दस मिलने पर सौ और सौ मिलने पर हजार की लालसा लिए वह इस अंधी दौड़ में शामिल है। इस दौड़ का कोई अंत नहीं । धन की इस दौड़ में सभी पारिवारिक और मानवीय संबंध पीछे छूट गए। व्यक्ति सत्य - असत्य, उचित - अनुचित, न्याय - अन्याय और अपने - पराए के भेद - भाव को भूल गया। उसके पास अपनी पत्नी और संतान के लिए भी समय नहीं धन के लिए पुत्र का पिता के साथ, बेटी का माँ के साथ और पति का पत्नी के साथ झगड़ा हो रहा है। भाई - भाई के खून का प्यासा है। धन की लालसा व्यक्ति को जघन्य से जघन्य कार्य करने के लिए उकसा रही है। इस लालसा का ही परिणाम है कि जगह - जगह हत्या, लूट, अपहरण और चोरी डकैती की घटनाएँ बढ़ रही हैं। इस रोगी मनोवृत्ति को बदलने के लिए हमें हर स्तर पर प्रयत्न करने होंगे।
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उत्तर : 2. "शरीर+ इक "
प्र:निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्न उत्तर लिखिए :
भारतीय नारी त्याग, बलिदान, साहस, शक्ति तथा सेवा की सजीव मूर्ति है। जीवन में सुख - दुःख में छाया की भाँति पुरुष का साथ देने के कारण वह अर्द्धांगिनी, घर की व्यवस्थापिका होने के कारण वह लक्ष्मी और श्लाघनीय गुणों के कारण वह देवी कही जाती है। स्वार्थ और भोग - लिप्सा को तिलांजलि देकर भारतीय नारी ने आत्म बलिदान के द्वारा समय - समय पर ऐसी ज्योति प्रज्जवलित की है कि उसके पुनीत प्रकाश में पुरुष ने अपना मार्ग ढूँढ़ा है। उसकी शक्ति के आगे तो यमराज को भी हारना पड़ा नारी का सम्मान करके ही पुरुष का जीवन कुसुम सुवासित होता है । भारतीय संस्कृति के अनुसार जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवता निवास करते हैं।
भोग - लिप्सा में कौन - सा समास है-
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62382b0fde069f6e1b999fb0भारतीय नारी त्याग, बलिदान, साहस, शक्ति तथा सेवा की सजीव मूर्ति है। जीवन में सुख - दुःख में छाया की भाँति पुरुष का साथ देने के कारण वह अर्द्धांगिनी, घर की व्यवस्थापिका होने के कारण वह लक्ष्मी और श्लाघनीय गुणों के कारण वह देवी कही जाती है। स्वार्थ और भोग - लिप्सा को तिलांजलि देकर भारतीय नारी ने आत्म बलिदान के द्वारा समय - समय पर ऐसी ज्योति प्रज्जवलित की है कि उसके पुनीत प्रकाश में पुरुष ने अपना मार्ग ढूँढ़ा है। उसकी शक्ति के आगे तो यमराज को भी हारना पड़ा नारी का सम्मान करके ही पुरुष का जीवन कुसुम सुवासित होता है । भारतीय संस्कृति के अनुसार जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवता निवास करते हैं।
- 1द्विगु समासfalse
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