General Hindi Question and Answer प्रश्न और उत्तर का अभ्यास करें
8 प्र: निम्नलिखित में से असंगत कथन है :
859 06231e96ade069f6e1b8854e2
6231e96ade069f6e1b8854e2- 1सरल वाक्य में एक उद्देश्य व एक ही विधेय होता है।false
- 2मिश्र वाक्य में एक से अधिक मुख्य उपवाक्य तथा अन्य आश्रित उपवाक्य होते हैं।true
- 3संयुक्त वाक्य में दो या दो से अधिक साधारण वाक्य किसी संयोजक से जुड़े रहते हैं।false
- 4मिश्र वाक्य व उपवाक्यों को जोड़ने का काम समुच्चयबोधक करते हैं।false
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उत्तर : 2. "मिश्र वाक्य में एक से अधिक मुख्य उपवाक्य तथा अन्य आश्रित उपवाक्य होते हैं। "
प्र:निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्नउत्तर लिखिए :
आचार्य द्रोण महर्षि भरद्वाज के पुत्र थे। पांचाल - नरेश का पुत्र द्रुपद भी द्रोण के साथ ही भरद्वाज - आश्रम में शिक्षा पा रहा था। दोनों में गहरी मित्रता थी। कभी - कभी राजकुमार द्रुपद उत्साह में आकर दोण से यहाँ तक कह देता था कि पांचाल देश का राजा बन जाने पर मैं आधा राज्य तुम्हें दे दूँगा। शक्षा समाप्त होने पर द्रोणाचार्य ने कृपाचार्य की बहन से ब्याह कर लिया। उससे उनके एक पुत्र हुआ, जिसका नाम उन्होंने अश्वत्थामा रखा । द्रोण अपनी पत्नी और पुत्र को बड़ा प्रेम करते थे। द्रोण बड़े गरीब थे। वह चाहते थे कि धन गप्त किया जाए और अपनी पत्नी व पुत्र के साथ सुख से रहा जाए । उन्हें खबर लगी कि परशुराम अपनी सारी संपत्ति गरीब ब्राह्मणों को बाँट रहे हैं , तो भागे - भागे उनके पास गए , लेकिन उनके नहुँचने तक परशुराम अपनी सारी संपत्ति वितरित कर चुके थे और वन - गमन की तैयारी कर रहे थे । दोण को देखकर वह बोले- " ब्राह्मण श्रेष्ठ ! आपका स्वागत है। पर मेरे पास जो कुछ था , वह मैं बाँट चुका हूँ । अब यह मेरा शरीर और धनुर्विद्या ही है। बताइए, मैं आपके लिए क्या करूँ? "
निम्न में से कौन सा शब्द अशुद्ध है?
703 06231e684cd09f46e2f0fee6d
6231e684cd09f46e2f0fee6dआचार्य द्रोण महर्षि भरद्वाज के पुत्र थे। पांचाल - नरेश का पुत्र द्रुपद भी द्रोण के साथ ही भरद्वाज - आश्रम में शिक्षा पा रहा था। दोनों में गहरी मित्रता थी। कभी - कभी राजकुमार द्रुपद उत्साह में आकर दोण से यहाँ तक कह देता था कि पांचाल देश का राजा बन जाने पर मैं आधा राज्य तुम्हें दे दूँगा। शक्षा समाप्त होने पर द्रोणाचार्य ने कृपाचार्य की बहन से ब्याह कर लिया। उससे उनके एक पुत्र हुआ, जिसका नाम उन्होंने अश्वत्थामा रखा । द्रोण अपनी पत्नी और पुत्र को बड़ा प्रेम करते थे। द्रोण बड़े गरीब थे। वह चाहते थे कि धन गप्त किया जाए और अपनी पत्नी व पुत्र के साथ सुख से रहा जाए । उन्हें खबर लगी कि परशुराम अपनी सारी संपत्ति गरीब ब्राह्मणों को बाँट रहे हैं , तो भागे - भागे उनके पास गए , लेकिन उनके नहुँचने तक परशुराम अपनी सारी संपत्ति वितरित कर चुके थे और वन - गमन की तैयारी कर रहे थे । दोण को देखकर वह बोले- " ब्राह्मण श्रेष्ठ ! आपका स्वागत है। पर मेरे पास जो कुछ था , वह मैं बाँट चुका हूँ । अब यह मेरा शरीर और धनुर्विद्या ही है। बताइए, मैं आपके लिए क्या करूँ? "
- 1परशुरामfalse
- 2पांचालfalse
- 3कृपाचार्यfalse
- 4अश्वथामाtrue
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उत्तर : 4. "अश्वथामा"
प्र:निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्नउत्तर लिखिए :
आचार्य द्रोण महर्षि भरद्वाज के पुत्र थे। पांचाल - नरेश का पुत्र द्रुपद भी द्रोण के साथ ही भरद्वाज - आश्रम में शिक्षा पा रहा था। दोनों में गहरी मित्रता थी। कभी - कभी राजकुमार द्रुपद उत्साह में आकर दोण से यहाँ तक कह देता था कि पांचाल देश का राजा बन जाने पर मैं आधा राज्य तुम्हें दे दूँगा। शक्षा समाप्त होने पर द्रोणाचार्य ने कृपाचार्य की बहन से ब्याह कर लिया। उससे उनके एक पुत्र हुआ, जिसका नाम उन्होंने अश्वत्थामा रखा । द्रोण अपनी पत्नी और पुत्र को बड़ा प्रेम करते थे। द्रोण बड़े गरीब थे। वह चाहते थे कि धन गप्त किया जाए और अपनी पत्नी व पुत्र के साथ सुख से रहा जाए । उन्हें खबर लगी कि परशुराम अपनी सारी संपत्ति गरीब ब्राह्मणों को बाँट रहे हैं , तो भागे - भागे उनके पास गए , लेकिन उनके नहुँचने तक परशुराम अपनी सारी संपत्ति वितरित कर चुके थे और वन - गमन की तैयारी कर रहे थे । दोण को देखकर वह बोले- " ब्राह्मण श्रेष्ठ ! आपका स्वागत है। पर मेरे पास जो कुछ था , वह मैं बाँट चुका हूँ । अब यह मेरा शरीर और धनुर्विद्या ही है। बताइए, मैं आपके लिए क्या करूँ? "
राजकुमार में कौन सा समास है?
826 06231e6309980d16e3644134a
6231e6309980d16e3644134aआचार्य द्रोण महर्षि भरद्वाज के पुत्र थे। पांचाल - नरेश का पुत्र द्रुपद भी द्रोण के साथ ही भरद्वाज - आश्रम में शिक्षा पा रहा था। दोनों में गहरी मित्रता थी। कभी - कभी राजकुमार द्रुपद उत्साह में आकर दोण से यहाँ तक कह देता था कि पांचाल देश का राजा बन जाने पर मैं आधा राज्य तुम्हें दे दूँगा। शक्षा समाप्त होने पर द्रोणाचार्य ने कृपाचार्य की बहन से ब्याह कर लिया। उससे उनके एक पुत्र हुआ, जिसका नाम उन्होंने अश्वत्थामा रखा । द्रोण अपनी पत्नी और पुत्र को बड़ा प्रेम करते थे। द्रोण बड़े गरीब थे। वह चाहते थे कि धन गप्त किया जाए और अपनी पत्नी व पुत्र के साथ सुख से रहा जाए । उन्हें खबर लगी कि परशुराम अपनी सारी संपत्ति गरीब ब्राह्मणों को बाँट रहे हैं , तो भागे - भागे उनके पास गए , लेकिन उनके नहुँचने तक परशुराम अपनी सारी संपत्ति वितरित कर चुके थे और वन - गमन की तैयारी कर रहे थे । दोण को देखकर वह बोले- " ब्राह्मण श्रेष्ठ ! आपका स्वागत है। पर मेरे पास जो कुछ था , वह मैं बाँट चुका हूँ । अब यह मेरा शरीर और धनुर्विद्या ही है। बताइए, मैं आपके लिए क्या करूँ? "
- 1तत्पुरुष समासtrue
- 2कर्मधारय समासfalse
- 3अव्ययीभाव समासfalse
- 4द्विगु समासfalse
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उत्तर : 1. "तत्पुरुष समास"
प्र:निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्नउत्तर लिखिए :
आचार्य द्रोण महर्षि भरद्वाज के पुत्र थे। पांचाल - नरेश का पुत्र द्रुपद भी द्रोण के साथ ही भरद्वाज - आश्रम में शिक्षा पा रहा था। दोनों में गहरी मित्रता थी। कभी - कभी राजकुमार द्रुपद उत्साह में आकर दोण से यहाँ तक कह देता था कि पांचाल देश का राजा बन जाने पर मैं आधा राज्य तुम्हें दे दूँगा। शक्षा समाप्त होने पर द्रोणाचार्य ने कृपाचार्य की बहन से ब्याह कर लिया। उससे उनके एक पुत्र हुआ, जिसका नाम उन्होंने अश्वत्थामा रखा । द्रोण अपनी पत्नी और पुत्र को बड़ा प्रेम करते थे। द्रोण बड़े गरीब थे। वह चाहते थे कि धन गप्त किया जाए और अपनी पत्नी व पुत्र के साथ सुख से रहा जाए । उन्हें खबर लगी कि परशुराम अपनी सारी संपत्ति गरीब ब्राह्मणों को बाँट रहे हैं , तो भागे - भागे उनके पास गए , लेकिन उनके नहुँचने तक परशुराम अपनी सारी संपत्ति वितरित कर चुके थे और वन - गमन की तैयारी कर रहे थे । दोण को देखकर वह बोले- " ब्राह्मण श्रेष्ठ ! आपका स्वागत है। पर मेरे पास जो कुछ था , वह मैं बाँट चुका हूँ । अब यह मेरा शरीर और धनुर्विद्या ही है। बताइए, मैं आपके लिए क्या करूँ? "
गरीब किस भाषा का शब्द है?
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6231e5bdafe5316e153c36c2आचार्य द्रोण महर्षि भरद्वाज के पुत्र थे। पांचाल - नरेश का पुत्र द्रुपद भी द्रोण के साथ ही भरद्वाज - आश्रम में शिक्षा पा रहा था। दोनों में गहरी मित्रता थी। कभी - कभी राजकुमार द्रुपद उत्साह में आकर दोण से यहाँ तक कह देता था कि पांचाल देश का राजा बन जाने पर मैं आधा राज्य तुम्हें दे दूँगा। शक्षा समाप्त होने पर द्रोणाचार्य ने कृपाचार्य की बहन से ब्याह कर लिया। उससे उनके एक पुत्र हुआ, जिसका नाम उन्होंने अश्वत्थामा रखा । द्रोण अपनी पत्नी और पुत्र को बड़ा प्रेम करते थे। द्रोण बड़े गरीब थे। वह चाहते थे कि धन गप्त किया जाए और अपनी पत्नी व पुत्र के साथ सुख से रहा जाए । उन्हें खबर लगी कि परशुराम अपनी सारी संपत्ति गरीब ब्राह्मणों को बाँट रहे हैं , तो भागे - भागे उनके पास गए , लेकिन उनके नहुँचने तक परशुराम अपनी सारी संपत्ति वितरित कर चुके थे और वन - गमन की तैयारी कर रहे थे । दोण को देखकर वह बोले- " ब्राह्मण श्रेष्ठ ! आपका स्वागत है। पर मेरे पास जो कुछ था , वह मैं बाँट चुका हूँ । अब यह मेरा शरीर और धनुर्विद्या ही है। बताइए, मैं आपके लिए क्या करूँ? "
- 1उर्दू भाषाfalse
- 2फारसी भाषाfalse
- 3अरबी भाषाtrue
- 4हिन्दी भाषाfalse
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उत्तर : 3. "अरबी भाषा"
प्र:निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्नउत्तर लिखिए :
आचार्य द्रोण महर्षि भरद्वाज के पुत्र थे। पांचाल - नरेश का पुत्र द्रुपद भी द्रोण के साथ ही भरद्वाज - आश्रम में शिक्षा पा रहा था। दोनों में गहरी मित्रता थी। कभी - कभी राजकुमार द्रुपद उत्साह में आकर दोण से यहाँ तक कह देता था कि पांचाल देश का राजा बन जाने पर मैं आधा राज्य तुम्हें दे दूँगा। शक्षा समाप्त होने पर द्रोणाचार्य ने कृपाचार्य की बहन से ब्याह कर लिया। उससे उनके एक पुत्र हुआ, जिसका नाम उन्होंने अश्वत्थामा रखा । द्रोण अपनी पत्नी और पुत्र को बड़ा प्रेम करते थे। द्रोण बड़े गरीब थे। वह चाहते थे कि धन गप्त किया जाए और अपनी पत्नी व पुत्र के साथ सुख से रहा जाए । उन्हें खबर लगी कि परशुराम अपनी सारी संपत्ति गरीब ब्राह्मणों को बाँट रहे हैं , तो भागे - भागे उनके पास गए , लेकिन उनके नहुँचने तक परशुराम अपनी सारी संपत्ति वितरित कर चुके थे और वन - गमन की तैयारी कर रहे थे । दोण को देखकर वह बोले- " ब्राह्मण श्रेष्ठ ! आपका स्वागत है। पर मेरे पास जो कुछ था , वह मैं बाँट चुका हूँ । अब यह मेरा शरीर और धनुर्विद्या ही है। बताइए, मैं आपके लिए क्या करूँ? "
महर्षि की सन्धि क्या है?
814 06231e561de069f6e1b884a63
6231e561de069f6e1b884a63आचार्य द्रोण महर्षि भरद्वाज के पुत्र थे। पांचाल - नरेश का पुत्र द्रुपद भी द्रोण के साथ ही भरद्वाज - आश्रम में शिक्षा पा रहा था। दोनों में गहरी मित्रता थी। कभी - कभी राजकुमार द्रुपद उत्साह में आकर दोण से यहाँ तक कह देता था कि पांचाल देश का राजा बन जाने पर मैं आधा राज्य तुम्हें दे दूँगा। शक्षा समाप्त होने पर द्रोणाचार्य ने कृपाचार्य की बहन से ब्याह कर लिया। उससे उनके एक पुत्र हुआ, जिसका नाम उन्होंने अश्वत्थामा रखा । द्रोण अपनी पत्नी और पुत्र को बड़ा प्रेम करते थे। द्रोण बड़े गरीब थे। वह चाहते थे कि धन गप्त किया जाए और अपनी पत्नी व पुत्र के साथ सुख से रहा जाए । उन्हें खबर लगी कि परशुराम अपनी सारी संपत्ति गरीब ब्राह्मणों को बाँट रहे हैं , तो भागे - भागे उनके पास गए , लेकिन उनके नहुँचने तक परशुराम अपनी सारी संपत्ति वितरित कर चुके थे और वन - गमन की तैयारी कर रहे थे । दोण को देखकर वह बोले- " ब्राह्मण श्रेष्ठ ! आपका स्वागत है। पर मेरे पास जो कुछ था , वह मैं बाँट चुका हूँ । अब यह मेरा शरीर और धनुर्विद्या ही है। बताइए, मैं आपके लिए क्या करूँ? "
- 1महा + ऋषिtrue
- 2मह + ऋषिfalse
- 3महा + षिfalse
- 4इनमे से कोइ नहींfalse
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- SingleChoice
उत्तर : 1. "महा + ऋषि"
प्र:निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्नउत्तर लिखिए :
सुखी, सफल और उत्तम जीवन जीने के लिए किए गए आचरण और प्रयत्नों का नाम ही धर्म है। देश, काल और सामाजिक मूल्यों की दृष्टि से संसार में भारी विविधता है , अतएव अपने - अपने ढंग से जीवन को पूर्णता की ओर ले जानेवाले विविध धर्मों के बीच भी ऊपर से विविधता दिखाई देती है। आदमी का स्वभाव है कि वह अपने विचारों और जीने के तौर तरीकों को तथा अपनी भाषा और खानपान को सर्वश्रेष्ठ मानता है तथा चाहता है कि लोग उसी का अनुसरण और अनुकरण करें; यथाशक्ति दूसरों से अपने धर्म को श्रेष्ठतर समझते हुए वह चाहता है कि सभी लोग उसे अपनाएँ। इसके लिए वह जोर - जबर्दस्ती को भी बुरा नहीं समझता। धर्म के नाम पर होनेवाले जातिगत विद्वेष, मारकाट और हिंसा के पीछे मनुष्य की यही स्वार्थ भावना काम करती है।
'अपने हित के लिए किया गया कार्य' वाक्यांश के लिए एक शब्द है
824 06231e3e1de069f6e1b88479b
6231e3e1de069f6e1b88479bसुखी, सफल और उत्तम जीवन जीने के लिए किए गए आचरण और प्रयत्नों का नाम ही धर्म है। देश, काल और सामाजिक मूल्यों की दृष्टि से संसार में भारी विविधता है , अतएव अपने - अपने ढंग से जीवन को पूर्णता की ओर ले जानेवाले विविध धर्मों के बीच भी ऊपर से विविधता दिखाई देती है। आदमी का स्वभाव है कि वह अपने विचारों और जीने के तौर तरीकों को तथा अपनी भाषा और खानपान को सर्वश्रेष्ठ मानता है तथा चाहता है कि लोग उसी का अनुसरण और अनुकरण करें; यथाशक्ति दूसरों से अपने धर्म को श्रेष्ठतर समझते हुए वह चाहता है कि सभी लोग उसे अपनाएँ। इसके लिए वह जोर - जबर्दस्ती को भी बुरा नहीं समझता। धर्म के नाम पर होनेवाले जातिगत विद्वेष, मारकाट और हिंसा के पीछे मनुष्य की यही स्वार्थ भावना काम करती है।
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- 2दूरदर्शीfalse
- 3स्वार्थtrue
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उत्तर : 3. "स्वार्थ "
प्र:निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्नउत्तर लिखिए :
सुखी, सफल और उत्तम जीवन जीने के लिए किए गए आचरण और प्रयत्नों का नाम ही धर्म है। देश, काल और सामाजिक मूल्यों की दृष्टि से संसार में भारी विविधता है , अतएव अपने - अपने ढंग से जीवन को पूर्णता की ओर ले जानेवाले विविध धर्मों के बीच भी ऊपर से विविधता दिखाई देती है। आदमी का स्वभाव है कि वह अपने विचारों और जीने के तौर तरीकों को तथा अपनी भाषा और खानपान को सर्वश्रेष्ठ मानता है तथा चाहता है कि लोग उसी का अनुसरण और अनुकरण करें; यथाशक्ति दूसरों से अपने धर्म को श्रेष्ठतर समझते हुए वह चाहता है कि सभी लोग उसे अपनाएँ। इसके लिए वह जोर - जबर्दस्ती को भी बुरा नहीं समझता। धर्म के नाम पर होनेवाले जातिगत विद्वेष, मारकाट और हिंसा के पीछे मनुष्य की यही स्वार्थ भावना काम करती है।
'उत्तम' का विलोम है
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6231e37eafe5316e153c3161सुखी, सफल और उत्तम जीवन जीने के लिए किए गए आचरण और प्रयत्नों का नाम ही धर्म है। देश, काल और सामाजिक मूल्यों की दृष्टि से संसार में भारी विविधता है , अतएव अपने - अपने ढंग से जीवन को पूर्णता की ओर ले जानेवाले विविध धर्मों के बीच भी ऊपर से विविधता दिखाई देती है। आदमी का स्वभाव है कि वह अपने विचारों और जीने के तौर तरीकों को तथा अपनी भाषा और खानपान को सर्वश्रेष्ठ मानता है तथा चाहता है कि लोग उसी का अनुसरण और अनुकरण करें; यथाशक्ति दूसरों से अपने धर्म को श्रेष्ठतर समझते हुए वह चाहता है कि सभी लोग उसे अपनाएँ। इसके लिए वह जोर - जबर्दस्ती को भी बुरा नहीं समझता। धर्म के नाम पर होनेवाले जातिगत विद्वेष, मारकाट और हिंसा के पीछे मनुष्य की यही स्वार्थ भावना काम करती है।
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- 2अधमtrue
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- 4अज्ञfalse
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उत्तर : 2. "अधम "
प्र:निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्नउत्तर लिखिए :
सुखी, सफल और उत्तम जीवन जीने के लिए किए गए आचरण और प्रयत्नों का नाम ही धर्म है। देश, काल और सामाजिक मूल्यों की दृष्टि से संसार में भारी विविधता है , अतएव अपने - अपने ढंग से जीवन को पूर्णता की ओर ले जानेवाले विविध धर्मों के बीच भी ऊपर से विविधता दिखाई देती है। आदमी का स्वभाव है कि वह अपने विचारों और जीने के तौर तरीकों को तथा अपनी भाषा और खानपान को सर्वश्रेष्ठ मानता है तथा चाहता है कि लोग उसी का अनुसरण और अनुकरण करें; यथाशक्ति दूसरों से अपने धर्म को श्रेष्ठतर समझते हुए वह चाहता है कि सभी लोग उसे अपनाएँ। इसके लिए वह जोर - जबर्दस्ती को भी बुरा नहीं समझता। धर्म के नाम पर होनेवाले जातिगत विद्वेष, मारकाट और हिंसा के पीछे मनुष्य की यही स्वार्थ भावना काम करती है।
'देश' शब्द का पर्यायवाची है
860 06231e318de069f6e1b8845e3
6231e318de069f6e1b8845e3सुखी, सफल और उत्तम जीवन जीने के लिए किए गए आचरण और प्रयत्नों का नाम ही धर्म है। देश, काल और सामाजिक मूल्यों की दृष्टि से संसार में भारी विविधता है , अतएव अपने - अपने ढंग से जीवन को पूर्णता की ओर ले जानेवाले विविध धर्मों के बीच भी ऊपर से विविधता दिखाई देती है। आदमी का स्वभाव है कि वह अपने विचारों और जीने के तौर तरीकों को तथा अपनी भाषा और खानपान को सर्वश्रेष्ठ मानता है तथा चाहता है कि लोग उसी का अनुसरण और अनुकरण करें; यथाशक्ति दूसरों से अपने धर्म को श्रेष्ठतर समझते हुए वह चाहता है कि सभी लोग उसे अपनाएँ। इसके लिए वह जोर - जबर्दस्ती को भी बुरा नहीं समझता। धर्म के नाम पर होनेवाले जातिगत विद्वेष, मारकाट और हिंसा के पीछे मनुष्य की यही स्वार्थ भावना काम करती है।
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