Rajasthan Art and Culture प्रश्न और उत्तर का अभ्यास करें
8 प्र: रागड़ी किस बोली की उप-बोली है?
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6307b22c29cb46304438a4a7- 1मालवीtrue
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उत्तर : 1. "मालवी"
प्र: राजस्थान के एकमात्र शास्त्रीय नृत्य कत्थक के जयपुर घराने के प्रवर्तक माने जाते हैं
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62a094b5cae9f820bae59582- 1लच्छन महाराजfalse
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उत्तर : 2. "भानुजी महाराज "
व्याख्या :
1. कथक नृत्य उत्तर भारतीय शास्त्रीय नृत्य है। कथा कहे सो कथक कहलाए। कथक शब्द का अर्थ कथा को नृत्य रूप से कथन करना है। प्राचीन काल मे कथक को कुशिलव के नाम से जाना जाता था।
2. यह कथक का प्राचीनतम घराना है। जयपुर घराने के प्रवर्तक भानु जी (प्रसिद्ध शिव तांडव नर्तक)हैं।
प्र: चित्रकला शैली ‘बणी-ठणी’ सम्बंधित है
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626a633b175f3a35dcc5060e- 1सतवन्त प्रसादfalse
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उत्तर : 2. "नागरीदास"
प्र: निम्न में से कौन सा नृत्य कालबेलिया जाति सेसम्बन्धित है?
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62a894ba4dee44100be280d9- 1अग्नि नृत्यfalse
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उत्तर : 2. "इंडोनी नृत्य "
व्याख्या :
1. इण्डोणी नृत्य राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। यह नृत्य विशेष रूप से कालबेलिया जाति के लोगों द्वारा किया जाता है।
2. इंडोणी, शंकरिया, पणिहारी, बागडिया कालबेलिया जाति के नृत्य है| कालबेलिया जनजाति प्रमुख रूप से कालबेलिया नृत्य के लिए जानी जाती है।
3. यह इनकी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है|आनंद और उत्सव के सभी अवसरों पर इस जनजाति के सभी स्त्री और पुरुष इसे प्रस्तुत करते है।
प्र: बमरसिया कौन से क्षेत्र का एक लोकप्रिय लोकनृत्य है?
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633c3156d0b67f66a01f7010- 1मारवाड़false
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उत्तर : 4. "अलवर-भरतपुर"
प्र: शीतला माता का मंदिर कहां स्थित है-
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632883c65c208a6bf7d851f5- 1पुष्कर, अजमेरfalse
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उत्तर : 4. "चाकसू, जयपुर"
प्र: नैणसी की ख्यात में गुहिलों की कितनी शाखाओं का उल्लेख किया है?
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62b05a77cae9f820ba1ab3ba- 1बयालीसfalse
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उत्तर : 3. "चौबीस "
व्याख्या :
1. नैणसी की ख्यात में गुहिलों की 24 शाखाओं का उल्लेख किया गया है।
2. नैणसी की ख्यात एक राजस्थानी ऐतिहासिक ग्रंथ है, जिसे 17वीं शताब्दी में मुहणौत नैणसी ने लिखा था। यह ग्रंथ मेवाड़ के इतिहास पर एक महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है।
प्र: अलवर क्षेत्र की लोकदेवी के रूप में किसे मान्यता प्राप्त है?
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6311f8377c72c077846e9ca2- 1सुगाली माताfalse
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उत्तर : 4. "जिलाणी माता"
व्याख्या :
1. जिलानी माता को अलवर क्षेत्र की लोकदेवी माना जाता है।
2. जिलानी माता मंदिर अलवर के बहरोड़ में स्थित है।
3. यहाँ हर साल मंदिर परिसर में दो मेलों का आयोजन किया जाता है।
4. अलवर का प्राचीन नाम सालव है। यह 16 प्राचीन महाजनपदों में से एक, मत्स्य साम्राज्य का एक हिस्सा था।

