Rajasthan Art and Culture प्रश्न और उत्तर का अभ्यास करें

प्र:

निम्नलिखित में से कौन सा वाद्य यंत्र बाकी तीन से अलग है?

927 0

  • 1
    बांसुरी
    सही
    गलत
  • 2
    मशक
    सही
    गलत
  • 3
    शहनाई
    सही
    गलत
  • 4
    अलगोजा
    सही
    गलत
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  • Workspace

उत्तर : 1. "बांसुरी"
व्याख्या :

अतः, सही उत्तर "बांसुरी" है। गिटार पश्चिमी मूल का है, इसमें 6 तार होते हैं, इसे बजाया या बजाया जाता है, और इसका उपयोग भारतीय संगीत में नहीं किया जाता है।

प्र:

निम्न में से कौन सी संस्था कठपुतली कला के राजस्थान में संरक्षण - संवर्धन में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका के लिए जानी जाती है? 

924 0

  • 1
    इंडियन आर्ट पैलेस, दिल्ली
    सही
    गलत
  • 2
    सार्दूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बीकानेर
    सही
    गलत
  • 3
    भारतीय लोक कला मंडल, उदयपुर
    सही
    गलत
  • 4
    राजस्थानी शोध संस्थान, जोधपुर
    सही
    गलत
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  • Workspace

उत्तर : 3. "भारतीय लोक कला मंडल, उदयपुर "
व्याख्या :

1. भारतीय लोक कला मंडल राजस्थान में कठपुतली कला के संरक्षण और संवर्धन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है। यह संस्था 1952 में उदयपुर में स्थापित की गई थी। इसका उद्देश्य लोक कलाओं, प्रदर्शन कलाओं और कठपुतलियों के क्षेत्र में ज्ञान और शोध को बढ़ावा देना है।

2. भारतीय लोक कला मंडल कठपुतली कला के विभिन्न रूपों को संरक्षित करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करता है। इनमें कठपुतली कलाकारों का प्रशिक्षण, कठपुतली नाटकों का प्रदर्शन और कठपुतली कला पर शोध करना शामिल है।

प्र:

परमार राजाओं द्वारा निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध अथूणा (अर्थपूर्णा) नगर राजस्थान के किस जिले में स्थित है?

924 0

  • 1
    बाँसवाड़ा
    सही
    गलत
  • 2
    प्रतापगढ़
    सही
    गलत
  • 3
    उदयपुर
    सही
    गलत
  • 4
    डूंगरपुर
    सही
    गलत
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  • Workspace

उत्तर : 1. "बाँसवाड़ा "
व्याख्या :

1. राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित छोटे से गाँव अरथूना में हिंदू धर्म, संस्कृति और ध्यान का महत्वपूर्ण संगम है।

2. इस स्थान पर कई सदियों से इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिकता का साथ है. इस क्षेत्र की प्राचीन धरोहर यहां की सामृद्ध विरासत के रूप में मौजूद है।

प्र:

'जंतर' वाद्य यंत्र किसके द्वारा बजाया जाता है?

921 0

  • 1
    देवनारायण जी के भोपे
    सही
    गलत
  • 2
    पाबू जी के भोपे
    सही
    गलत
  • 3
    गरासिया जाति
    सही
    गलत
  • 4
    भील जाति
    सही
    गलत
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  • Workspace

उत्तर : 1. "देवनारायण जी के भोपे "
व्याख्या :

1. यह वाद्य वीणा का प्रारम्भिक रूप कहा जा सकता है। इसकी आकृ वीणा से मिलती है तथा उसी के समान इसमें दो तुम्बे होते हैं। 

2.  इसकी डाँड बाँस की होती है जिस पर एक विशेष पशु की खाल के बने 22 पर्दे मोम से चिपकाये जाते हैं। कभी-कभी ये मगर की खाल के भी होते हैं। 

3. परदों के ऊपर पाँच या छः तार लगे होते हैं। तारों को हाथ की अंगुली और अंगूठे के आधार से इस प्रकार अघात करके बजाया जाता है कि ताल भी उसी से ध्वनित होने लगती है। 

3. मेवाड़ और बदनौर, नेगड़िया, सवाई भोज आदि क्षेत्रों के भोपे इसके वादन में कुशल है।

प्र:

घोटिया अम्बा का मेला कहाँ लगता है?

920 0

  • 1
    बांसवाडा
    सही
    गलत
  • 2
    अजमेर
    सही
    गलत
  • 3
    उदयपुर
    सही
    गलत
  • 4
    सिरोही
    सही
    गलत
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  • Workspace

उत्तर : 1. "बांसवाडा"

प्र:

भीलवाड़ा निवासी श्रीलाल जोशी किस लोक चित्रकला से सम्बन्धित हैं?

919 0

  • 1
    फड चित्रण
    सही
    गलत
  • 2
    भित्ति चित्र
    सही
    गलत
  • 3
    कागज पर चित्रण
    सही
    गलत
  • 4
    काष्ठ चित्रण
    सही
    गलत
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  • Workspace

उत्तर : 1. "फड चित्रण"

प्र:

संत बखनाजी, संतदासजी, संत रज्जबजी किस सम्प्रदाय से संबंधित थे?

918 0

  • 1
    कबीरपंथ
    सही
    गलत
  • 2
    लालदासी
    सही
    गलत
  • 3
    रामस्नेही
    सही
    गलत
  • 4
    दादूपंथ
    सही
    गलत
  • उत्तर देखेंउत्तर छिपाएं
  • Workspace

उत्तर : 4. "दादूपंथ"

प्र:

राजस्थान का कौन सा शहर अपनी 'ब्लू पॉटरी' के लिए जाना जाता है?

911 0

  • 1
    अलवर
    सही
    गलत
  • 2
    टोंक
    सही
    गलत
  • 3
    जयपुर
    सही
    गलत
  • 4
    भरतपुर
    सही
    गलत
  • उत्तर देखेंउत्तर छिपाएं
  • Workspace

उत्तर : 3. "जयपुर"
व्याख्या :

1. जयपुर के सवाई राम सिंह द्वितीय ने ब्लू पॉटरी को संरक्षण दिया।

2. ब्लू पॉटरी को व्यापक रूप से जयपुर के पारंपरिक शिल्प के रूप में मान्यता प्राप्त है।

3. यह मूल रूप से तुर्क-फ़ारसी का है।

4. अकबर के शासनकाल में यह कला फारस से लाहौर आई थी।

5. इसके बाद राम सिंह प्रथम इसे लाहौर से जयपुर ले लाए। हालाँकि, इस कला क सबसे अधिक विकास राम सवाई सिंह द्वितीय के दौरान हुआ था।

6. उन्होंने इस कला को सीखने के लिए चूड़ामन और कालूराम कुम्हार को दिल्ली भेजा।

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