Rajasthan Art and Culture प्रश्न और उत्तर का अभ्यास करें
8 प्र: आदिवासियों में प्रचलित लीला- मोरिया संस्कार किस अवसर से जुड़ा हुआ है?
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62a230fd43a7fd0b22512da9- 1विवाहtrue
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उत्तर : 1. "विवाह "
व्याख्या :
1. यह संस्कार विवाह से संबंधित है जिसमें दूल्हे के घर पर दुल्हन को बालर बांधकर, खाट पर बिठाकर नृत्य करवाया जाता है, इसे लीला मोरिया कहा जाता है।
2. लीला मोरिया संस्कार एक महत्वपूर्ण संस्कार है जो आदिवासियों के विवाह समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह संस्कार दूल्हा और दुल्हन के बीच प्रेम और विश्वास को मजबूत करता है।
प्र: राजस्थान में गोला, दरोगा, चाकर, चेला आदि सम्बोधन किसके लिए प्रयुक्त होते थे?
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62a2307794471d20736dbbdb- 1तांत्रिक के लिएfalse
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उत्तर : 2. "घरेलू दास के लिए "
व्याख्या :
राजस्थान में गोला, दरोगा, चाकर, चेला आदि सम्बोधन घरेलू दास के लिए किया जाता हैं।
प्र: 'झिम्मी' क्या है ?
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62a2300043a7fd0b22512d3d- 1पुत्र जन्म के पश्चात् चौदहवें दिन होने वाली रस्मfalse
- 2पर्यूषण पर्व के दौरान तीन दिन का उपवासfalse
- 3फेरे अथवा सप्तपदी के समय मामा द्वारा दी गई और वधू द्वारा पहनी गई गोटे - किनारी युक्त लाल - गुलाबी ओढ़नीtrue
- 4संतान प्राप्ति के बाद बेटी को विधि विधान से ससुराल विदा करने की प्रक्रियाfalse
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उत्तर : 3. "फेरे अथवा सप्तपदी के समय मामा द्वारा दी गई और वधू द्वारा पहनी गई गोटे - किनारी युक्त लाल - गुलाबी ओढ़नी "
व्याख्या :
'झिम्मी' फेरे अथवा सप्तपदी के समय मामा द्वारा दी गई और वधू द्वारा पहनी गई गोटे - किनारी युक्त लाल - गुलाबी ओढ़नी है।
प्र: किस प्रसिद्ध दुर्ग की सुदृढ़ नैसर्गिक सुरक्षा व्यवस्था से प्रभावित होकर अबुल फजल ने लिखा कि “अन्य सब दुर्ग नग्न हैं , जबकि यह दुर्ग बख्तरबंद है"?
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62a22f82df19be4c4afd1480- 1रणथम्भौरtrue
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उत्तर : 1. "रणथम्भौर "
व्याख्या :
1. रणथंभौर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक किला और राष्ट्रीय उद्यान है। यह किला 10वीं शताब्दी में चौहान राजपूतों द्वारा निर्मित किया गया था। यह किला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
2. रणथंभौर किला एक विशाल और मजबूत किला है। यह किला एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। किले की दीवारें बहुत मोटी और मजबूत हैं। किले के अंदर कई मंदिर, महल, और अन्य इमारतें हैं।
3. रणथम्भौर दुर्ग की सुदृढ़ नैसर्गिक सुरक्षा व्यवस्था से प्रभावित होकर अबुल फजल ने लिखा कि “अन्य सब दुर्ग नग्न हैं, जबकि यह दुर्ग बख्तरबंद है"।
प्र: परमार राजाओं द्वारा निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध अथूणा (अर्थपूर्णा) नगर राजस्थान के किस जिले में स्थित है?
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62a22e8143a7fd0b22512a18- 1बाँसवाड़ाtrue
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उत्तर : 1. "बाँसवाड़ा "
व्याख्या :
1. राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित छोटे से गाँव अरथूना में हिंदू धर्म, संस्कृति और ध्यान का महत्वपूर्ण संगम है।
2. इस स्थान पर कई सदियों से इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिकता का साथ है. इस क्षेत्र की प्राचीन धरोहर यहां की सामृद्ध विरासत के रूप में मौजूद है।
प्र: ' खोयतू ' वस्त्र सम्बन्धित है
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62a0a637cae9f820bae5fe22- 1मीणा जनजाति सेfalse
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उत्तर : 2. "भील जनजाति से "
व्याख्या :
1. खोयतू एक प्रकार का पारंपरिक राजस्थानी वस्त्र है जो मुख्य रूप से मेवाड़ क्षेत्र में पहना जाता है। यह एक लंबा, ढीला-ढाला, बिना आस्तीन का वस्त्र होता है जो आमतौर पर सफेद रंग का होता है। खोयतू को आमतौर पर पुरुष और महिलाएं दोनों पहनते हैं, लेकिन यह पुरुषों के बीच अधिक लोकप्रिय है।
2. 'खोयतू ' वस्त्र सम्बन्धित भील जनजाति से है। प्र: मेवाड़ महाराणा के पगड़ी बाँधने वाला व्यक्तिकहलाता था
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62a0a487df19be4c4af807e0- 1पानेरीfalse
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उत्तर : 3. "छाबदार "
व्याख्या :
1. राजस्थान में पुरूष सिर पर साफा बांधते रहे हैं। साफा सिर्फ एक पहनावा नहीं है। राजस्थान में नौ माह लगभग गर्मी पड़ती है और तीन माह तेज गर्मी पड़ती है। ऐसे में साफे की कई परतें सिर को लू के थपेड़ों और तेज धूप से बचाती हैं। राजस्थान वीरों की भूमि भी रही है। यदा कदा यहां भूमि और आन के युद्ध से भी गुजरना पड़ता था। ऐसे में आपात प्रहार से बचने में भी साफा रक्षा का काम किया करता था।
2. मेवाड़ महाराणा की पगड़ी बांधने वाला छाबदार कहलाता था।
प्र: बीजा और माला उपजातियाँ किस जनजाति से सम्बद्ध उपजातियाँ हैं?
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62a0974603a63656a29c5cab- 1सांसीtrue
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उत्तर : 1. "सांसी "
व्याख्या :
1. बीजा और माला उपजातियाँ सांसी जनजाति से सम्बद्ध उपजातियाँ हैं।
2. उनका एक दोहरा संगठन है और उन्हें 'बीजा' और 'माला' नामक शाखाओं में बांटा गया है, दोनों एक-दूसरे के साथ नहीं बल्कि आपस में शादी करते हैं।
3. उनमें से अधिकांश हिंदू धर्म को मानते हैं।
4. उनकी भाषा सांसीबोली या भीलकी है।
5. ब्रिटिश शासन के दौरान उन्हें आपराधिक जनजाति अधिनियम 1871 के तहत रखा गया था, इसलिए लंबे समय तक उन्होंने यह कलंक झेला है।

