‘वालरा’ पद्धति जो कि पर्यावरणीय अवनयन का कारण है, का एक प्रकार है -
579 0619cf15472ad883de23c601fवालरा कृषि एक प्रकार की स्थानांतरित कृषि है, जिसमें भूमि का उपयोग कुछ वर्षों के लिए किया जाता है और बाद में मिट्टी में उर्वरता की कमी और बीमारियों के कारण छोड़ दी जाती है। यह कृषि आदिम जनजातियों द्वारा की जाती है।
2. राजस्थान के बाँसवाड़ा, उदयपुर और डूंगरपुर जिले में आदिम जनजातियों का निवास है। इन जिलों में वालरा कृषि की जाती है।
खड़ीन खेती हैं-
809 05f718bfba58f705296afb5a2खडीन-यह एक मिट्टी का बना हुआ अस्थायी तालाब होता है, इसे किसी ढाल वाली भूमि के नीचे बनाते हैं । इसके दोनों ओर मिट्टी की दीवार (धोरा) तथा तीसरी ओर पत्थर से बनी मजबूत दीवार होती है । जल की अधिकता पर खड़ीन भर जाता है तथा जल आगे वाली खडीन में चला जाता है । खडीन में जल के सूख जाने पर, इसमें कृषि की जाती है।
निम्न में से रबी की फसल का चयन करें ?
1052 05e564500a1bec24e796c35a5रबी ऋतु की फसलें – रबी की फसलों की बुआई सामान्यतः अक्टूबर और नवम्बर के महीनों में होती है और इनकी कटाई अप्रैल से मई माह तक हो जाती है।
रबी ऋतु की प्रमुख फसलें – गेहूं, जौं, चना, सरसों, मटर, बरसीम, रिजका, हरा चारा, मसूर, आलू, राई,तम्बाकू, लाही, जई, अलसी और सूरजमुखी आदि। रबी ऋतु की फसलें की बुआई के समय कम तापमान की आवश्यकता होती है, इसलिए इनकी बुआई शीत ऋतु में की जाती है। वहीं इनके पकतने के लिए शुष्क और गर्म वातावरण होना चाहिए।
पथिक ने किस समाचार पत्र के माध्यम से बिजोलिया कृषक आंदोलन को विख्यात कर दिया?
363 0632b1ada5c208a6bf7e535d11. विजय सिंह पथिक, जिन्हें राष्ट्रीय पथिक के रूप में जाना जाता है, एक भारतीय क्रांतिकारी थे। उनका असली नाम भूप सिंह था।
2. वे पहले भारतीय क्रांतिकारियों में से थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन की मशाल जलाई थी।
3. मोहनदास करमचंद गांधी द्वारा सत्याग्रह आंदोलन शुरू करने से बहुत पहले, पथिक ने बिजोलिया के किसान आंदोलन के दौरान सत्याग्रह आंदोलन का प्रयोग कर लिया था।
4. विजयसिंह पथिक ने प्रताप समाचार पत्र के माध्यम से बिजौलिया किसान आन्दोलन का प्रचार पूरे भारत में कर दिया था?
श्री देवनारायण के पिता का नाम क्या था?
699 05fdc392447af917ef3d637281. भगवान विष्णु का अवतार कहे जाने वाले गुर्जर जाति के आराध्य देव भगवान श्री देवनारायण जी का जन्म विक्रम संवत 968 माघ शुक्ल की सप्तमी के दिन मालासेरी में हुआ था, इनके पिताजी का नाम सवाई भोज एवं माँ का नाम साढू था, इस कारण इन्हें साढू माता का लाल भी कहा जाता हैं।
2. बचपन में देवजी का नाम उदय सिंह था, इनका विवाह राजकुमारी पीपल दे एवं दो अन्य रानियों नाग कन्या और दैत्य कन्या के साथ हुआ था. इनके एक बेटा बीला जो बाद में प्रथम पुजारी भी बने तथा बेटी का नाम बीली था।