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कोई खंडित, कोई कुंठित,

कृष बाहु, पसलियां रेखांकित,

टहनी से टांगे, बढ़ा पेट,

टेढ़े मेढ़े, विकलांग घृणित!

विज्ञान चिकित्सा से वंचित,

ये नहीं धात्रियों से रक्षित,

ज्यों स्वास्थ्य सेज हो, ये सुख से,

लौटते धूल में चिर परिचित!

पशुओं सी भीत मुक्त चितवन,

प्राकृतिक स्फूर्ति से प्रेरित मन,

तृण तरुओं से उग-बढ़, झर-गिर,

ये ढोते जीवन क्रम के क्षण!

कुल मान ना करना इन्हें वहन,

चेतना ज्ञान से नहीं गहन,

जगजीवन धारा में बहते ये मूर्ख पंगु बालू के कण!

प्र:

गाँव के बच्चों की स्थिति कैसी है

  • 1
    कुपोषित, खिन्न तथा अशिक्षित हैं।
  • 2
    क्षीणकाय , किंतु कुल कुल के मान का ध्यान करने वाले हैं।
  • 3
    पशुओं की तरह प्राकृतिक वातावरण में रहते हुए पूर्ति से भरे हुए हैं।
  • 4
    पशुओं की तरह बलिष्ठ परंतु असहाय व मूर्ख है।
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उत्तर : 1. "कुपोषित, खिन्न तथा अशिक्षित हैं।"

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