जॉइन Examsbook
575 0

मनुष्य का जीवन बहुत सघर्षमय होता है| उसे पग-पग पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | फिर भी ईश्वर के द्वारा जो मनुष्य रूपी वरदान की निर्मिति इस पृथ्वी पर हुई है मानो धरती का रूप ही बदल गया है। यह संसार कर्म करने वाले मनुष्यों के आधार पर ही टिका हुआ है। देवता भी उनसे ईर्ष्या करते हैं। मनुष्य अपने कर्म बल के कारण श्रेष्ठ है। धन्य है, मनुष्य का जीवन। 

प्र:
जीवन और देवता के विलोम शब्द लिखिए।

  • 1
    रास, लीला
  • 2
    बुरा, यक्ष
  • 3
    सुहाना, गंधर्व
  • 4
    मरण, दानव
  • उत्तर देखेंउत्तर छिपाएं
  • Workspace

उत्तर : 4. "मरण, दानव"

क्या आपको यकीन है

  त्रुटि की रिपोर्ट करें

कृपया संदेश दर्ज करें
त्रुटि रिपोर्ट सफलतापूर्वक जमा हुई