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प्र:
कविता में 'पुण्य-वेदी' से आशय है-
दिए गए काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्न के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
जला अस्थियाँ बारी बारी
छिटकाई जिसने चिनगारी
जो चढ़ गए पुण्य वेदी पर
लिए बिना गरदन का मोल।
कलम, आज उनकी जय बोल !
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफ़ानों में एक किनारे
जल जलकर बुझ गए, किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल ।
कलम, आज उनकी जय बोल !
प्र: कविता में 'पुण्य-वेदी' से आशय है-
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